शुक्रवार, 25 मई 2012

इंतिजार है मुझे


न जाने जिंदगी कहाँ ले कर जाएगी  !
जाने कब मंजिल करीब आएगी !!
भटकता रहा हूँ मैं इस जीवन के उद्देश्य को समझने में !
क्यों जन्म हुआ है मेरा ये तो वक्त ही बताएगी !!



कहते हैं जीवन एक पहिये की तरह है ,जो की निरंतर चलती रहती है .जब तक की मंजिल को पा ले  .पर जाने क्यों मुझे पिछले कुछ सालो से ऐसा लग रहा है, की मेरी जीवन की कहानी मानो रुक सी गई है .जमाना कहा से कहा पहुँच रहा हैं और मैं अभी भी चार दीवारी में फंसा हुआ हूँ .मैं पिछले कई सालो से अंतरात्मा के बोझ से दबा हुआ हूँ मुझे अपनी जीवन की मंजिल नजर नहीं आती .मेरे जीवन में तो बचपन से ही दुखो का सिलसिला है पर बीते हुए वर्षों से मुझे कुछ ज्यादा ही आत्मिक दर्द मिल रहा है .पर फिर भी मैं अपने को टूटने नहीं दे रहा हूँ .जिंदगी को देख रहा हूँ की और कितना गम देगी . मैं भी देखना चाहता हूँ की कितने गम सहने की मुझमे सामर्थ है .पर उम्मीद करता हूँ मेरे भी जीवन में कोई तो जरुर उद्देश्य होगा जिनके लिए मैं जन्मा हूँ .और उसी की इंतिजार है मुझे .