शनिवार, 9 जून 2018

विधायक श्री जय सिंह अग्रवाल द्वारा कांग्रेस पार्टी में स्वागत

आज कांग्रेस पार्टी का संकल्प शिविर कार्यक्रम था जिसमे  माननीय जय सिंह अग्रवाल (विधायक कोरबा) द्वारा मुझे कांग्रेस पार्टी में सामिल होने का मौका दिया और आईटी सेल का कार्य सौपने का आश्वासन दिया गया. इस मौके पर कई गणमान्य लोग उपस्थित थे उनमे से श्री राजकिशोर प्रसाद जी, श्री विकास डालमिया, आशीष राव, राकेश पंकज , विकास सिंह आदि लोग उपस्थित थे.




गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ

 दिनांक 26-04-18 को वार्ड क्र35 हाउसिंग बोर्ड सामुदायिक भवन मे 5बुथ का मिटीग लिया गया जिसमे अतिथि जिला काग्रेस कमेटी (शहर)जिलाध्यक्ष श्री राजकिशोर प्रसाद जी, पूर्व जिलाध्यक्ष श्री श्याम सुन्दर सोनी जी थे ! इस अवसर पर वरिष्ठ काग्रेसी जमाल खान जी, जिला सचिव एफ. डी. मानिकपुरी जी, विकास डालमिया जी, micमेम्बर देवी दयाल सोनी जी, नगर अध्यक्ष दुष्यंत शमां जी, उस्मान खान जी, ए. डी. जोशी जी, मुन्ना खान जी, सुखी राम जागडे जी, के. पी. सोनी जी, आर. के. नामदेव जी,श्रीकांत माझी जी,  सी. एल. देवागन जी, आशीष राव जी, मिथलेस चन्द्रा जी, आंसारी जी, आनंद  दादा जी,  पारितोष सिंह जी, नूर आबूदिन जी, के. के. चौकसे जी, राकेश पंकज जी, पीयूष पाण्डेय जी, रवि सोनवाने जी, लीलाशु वमां जी, गया प्रसाद जी, दुगेश सोनवाने जी, भावानी साहू जी, जनक नायक जी, डी. के. राय जी, बिटटु सिहं जी, शब्बीर जी, एंव बुथ के पदाधिकारी , महिलाएं , वार्ड वासी भारी संख्या मे उपस्थित थे।

साथ ही मुझे इस अवसर पर नये कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में  जिला काग्रेस कमेटी (शहर)जिलाध्यक्ष श्री राजकिशोर प्रसाद जी, एवं पूर्व जिलाध्यक्ष श्री श्याम सुन्दर सोनी जी द्वारा स्वागत किया गया।

 







बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर से मिले मुझे दो पैर

आज मैं मैने अपने पैसे से इलेक्ट्रिक व्हील चेयर (Electronic Wheelchair) खरीदा, मेरा बहुत दिन से सपना था की इस व्हील चेयर को मैं खरीदू , पर इसकी कीमत अधिक होने से आज तक नही ले सका था। क्योंकि पहले यह व्हीलचेयर भारत में कम बनता था जिससे इसकी कीमत एक लाख से अधिक होता था। लेकिन अब यह भारत में भी मिलने से इसकी कीमत में थोड़ी कमी आई जिसके कारण मैं इसे खरीद सका। इस व्हीलचेयर को मैंने 55000 ₹ में अहमदाबाद गुजरात से ऑनलाइन खरीद कर मंगाया था।  

इसे पाकर मुझे ऐसा लगा मानो मुझे दो पैर मिल गए हो, मतलब मुझे ऐसा लगा कि मैं भी आम इंसानों की तरह चल फिर सकता हूं। अब मैं किसी के भरोसे नहीं, पहले मुझे इधर उधर जाने में बहुत दिक्कत होता था, कोई मुझे ले जाते थे तब जा पाता था। लेकिन इस व्हीलचेयर के द्वारा अपने घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में आ जा सकता हूं। इसका कंफर्टेबल और छोटा साइज होने के कारण यह कहीं भी आसानी से चला जाता है। अब मैं कुछ हदतक किसी के भरोसे नहीं रहा। इस इलेक्ट्रॉनिक व्हीलचेयर के जरिए मैं कहीं भी आ जा सकता हूं।





बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

चॉइस सेंटर का उद्घाटन

आज मेरे चॉइस सेंटर लोक सेवा केंद्र का उद्घाटन किया. अपने पहले वाले  घर से चॉइस सेंटर का कम सुरु किया था जिसे आज अपने नए घर के करण वहां को छोड़ना पड़ा , और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए अपने ही घर के थोड़ी दूर में एक शॉप रेंट (किराये) पर ले कर सुरु किया. कल तक अपने घर भर ही कार्य आरंभ किया था लेकिन अब अपने 5 साल के वर्क को कमर्शियल एरिया में लाकर खोला है. अब देखना यह है कि मुझे इससे कितना फायदा होता है. हालांकि यह मेरा किराया का दुकान है परंतु धीरे से मैं खुद का है दुकान लेकर  अपने  व्यवसाय को बढ़ा लूंगा। लेकिन तब तक अभी यंही काम करना है. शॉप के उद्घाटन पर  मैं किसी ज्यादा लोगों को नहीं बुलाया था घर ही घर के लोगों के द्वारा और कुछ पास्टर जैसे पास्टर ग्वाल सर , और एफ.आर. साहू सर तथा सत्या भाई और मेरे माँ पिता जी और भाई बहन उपस्थित थे. सभी के साथ एक छोटा सा प्रार्थना किया. और अपने चॉइस सेंटर को प्रारंभ किया.

 

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

रोजगार ऋण पर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए

दोस्तों आज मेरे लिए बहुत ही ख़ास दिन था , मैंने सन 2016 में प्रधान मंत्री मुद्रा लोन (ऋण) के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था जो 2017 के अंतिम महीने में पास हुआ जिसे पंजाब नेशनल बैंक द्वारा दिया गया. इस लोन को प्राप्त करने से पहले एक रोजगार प्रशिक्षण करना होता है जिसे मैंने प्रशिक्षण में उपस्थित हो कर अपने व्यवसाय और बैंक से जुड़े बहुत सी जानकारी प्राप्त किया. इस प्रशिक्षण में बहुत से लोग उपस्थित हुए थे जो लोन के लिए आवेदन किये थे . सब से मेरा अनुभव अच्छा रहा और कई दोस्त बने. प्रशिक्षण के दौरान कई ट्रेनर और मोटिवेशन टीचर ने हम सभी को नयी जानकारी देने व मोटिवेट किये . आज इसका अंतिम दिन था तो सभी को एक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया. इन्ही यादगार लम्हो की कुछ तस्वीर आप तक साझा कर रहा हूँ. 




 

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

सफलता की पहली और छोटी सीढ़ी

काफ़ी दिनों बाद आज ब्लॉग लिखने को विषय मिला. बात आगे लिखू इस से पहले एक बात कहनी है की जीवन में प्रयत्न करते रहो चाहे मंजिल मिले न मिले और साथ ही खुद अपने पर भरोसा रख कर कोई काम करो तब सफलता मिलने का उम्मीद ज्यादा होती है . जैसा की दोस्तों मेरे पास नौकरी नहीं फिर भी कुछ न कुछ कर के मैं आगे बढ़ रहा हूँ .इसमें केवल मेरा इच्छा शक्ति ही है जो मुझे आगे ले जा रहा है. जीने की चाह हो या फिर कुछ बनने की होसला, सभी बाते मेरे इच्छा पर निर्भर करता है. कुछ दिन पहले मैं अपने व्यवसाय को बढ़ाने के उद्देश्य से एक चॉइस सेंटर जो की "डिजिटल सेवा केंद्र" होता है उस के मध्य से पैसा कमाना चाहता था .लेकिन इसके लिए लाइसेंस लेना पड़ता है .जो की इसी लाइसेंस को पाने के लिए मैंने अपने कोरबा जिला पंचायत से आवेदन लगाया .किन्तु उनसे मुझे कुछ भी फ़ायदा नही हूँ . तीन महीने से घुमाया जा रहा था .अंत में हतास होने लगा तो मैंने खुद ही डिजिटल सेवा के लिए ऑनलाइन आवेदन लगाया और देखो दो महीने में ही मेरी कोशिस रंग लाई. और अभी कुछ दिन हुए हैं मुझे इस कार्य के लिए आईडी मिल गया. अब नौकरी न भी मिले तो भी इसी को आगे बढ़ा कर अपना लक्ष्य हालिस करूँगा . देखना ये है की ये कहा तक सफलता को लाता है . अब अपने क्षेत्र में एक दुकान ले कर एक चॉइस सेंटर को खोलना चाहता हूँ . बस यही मेरे जीवन में एक नया बात था जिसे ब्लॉग के जरिये आपसे शेयर किया .... --शब्बीर चौरसिया

रविवार, 13 नवंबर 2016

लोगो द्वारा मुझसे पूछे जाने वाला सावल

सवाल जवाब एक ऐसा शब्द वाक्य है जो इंसान के हर वार्ता को आरंभ करता है, और इसी से एक दुसरे से हम अपना संपर्क बनाये रहते है . लेकिन मेरे  साथ जो भी पहली मुलाकात में मिलता है तो उनके मन में मुझसे जुड़े विभन्न सवाल उनके मन में उत्पन्न हो जाते है। जो कुछ लोग पूछने की हिम्मत कर के पूछ लेते हैं तो कुछ लोग नहीं पूछते . उन्ही सवालो का आज मैं अपने ब्लॉग के जरिये उत्तर देना चाहता हूँ . मेरे से पूछे जाने वाले सवाल -
  • आपका नाम मुस्लिम जैसा क्यों है क्या आप मुस्लिम हो?
उत्तर = दोस्तों मैं मुस्लिम नहीं .मुझ मे भी हिन्दू धर्म का लेबल लगा है .


मेरे नाम का शब्द "शब्बीर" है और मेरे सर नेम "चौरसिया" है जिसके कारण लोग तुरंत कंफुज़ हो जाते है की मुस्लिम जैसा नाम और सर नेम चौरसिया जो हिन्दू है . इसका कारण यह है की मेरे माता पिता को शादी के  5 वर्षो बाद तक एक भी संतान नहीं था जिसके कारण वे बहुत हताश थे, और वे लोग कई तरह के कर्मकांड और अध्यात्म के चक्कर में फसे थे. कई देवी देवता की पूजा पाठ एवं विभन्न धर्मो के इश्वरो से मन्नत मांगते थे .डॉक्टर से भी कई इलाज हुए . फिर मेरे पिता को किसी ने कहा की आप मुहर्रम में ताजिया बनवा कर मन्नत मांगो तो आपकी संतान प्राप्ति होगी. जैसा की मेरे पिता जी ने मुस्लिम दरगाह में हर शुक्रवार को लोभान जलाते और मन्नत मांगे की संतान प्राप्ति पर मैं ताजिया बनवाऊंगा . और जैसा की एक वर्ष के अन्दर में ही मेरे माँ पिता के किस्मत में मैं आया .और इस ख़ुशी के कारण ही मेरे पिता जी ने मेरा नाम "शब्बीर" रखा है जो एक मुस्लिम नाम है।
  •  आपकी शारीरिक विकाश कम क्यों है अर्थात आपकी उचाई कम कैसे है?  





उत्तर = इस सवाल का जवाब ये है दोस्तों की मेरे जन्म के वक्त मैं भी नोर्मल (सामान्य) बच्चे की तरह पैदा हुआ था (बचपन की तस्वीर देखे) परन्तु जैसे ही पैदा हुआ उसी वक्त मुझे निमोनिया हो गया जिस से मुझे गर्म हीटर वाले बक्से में रखा गया था, फिर इसके बाद मुझे आये दिन कई बार निमोनिया हुआ जिसके कारण मेरे हड्डियों के अन्दर का मज्जा को नुकसान पंहुचा .जब मेरा उम्र 3 वर्ष का हुआ फिर मेरे हाथ पाँव की हडियाँ हलकी सी ठोकर से टूटने लगा .इसके मुझे दिल्ली के सबसे बड़े हॉस्पिटल में इलाज के लिए भेजा गया जहा डॉक्टर ने कहा की इनके हडियाँ कमजोर होने के कारण टूट जाता है  इस कारण इसे सम्हाल के रखो और इनका शारीरिक विकाश नहीं हो पायेगा . इस वजह से आज मेरा शरीर एक नये रूप में आया है. न ही मैं बौना प्रजाति से हूँ..

दूसरी बात मैं अपना सारा काम स्वयं करता हूँ मुझे किसी की आवश्यकता नहीं .नहाना धोना इत्यादि सभी काम मैं स्वयं करता  हूँ. कपडे बदलने से ले कर सारा काम.


  •  आप खाना कितना खाते हो?  

उत्तर = दोस्तों मैं भी एक सामान्य इन्सान हूँ, और एक नार्मल खाना ही खाता हूँ . मेरे को कोई बीमारी नहीं न किसी चीज का परहेज है. और जितना शरीर का अनुपात है  उस अनुपात में खाना खाता हूँ.

  •  आप इतना पढ़े लिखो हो तो अभी तक नौकरी क्यों नहीं मिली आप को तो विकलांगता का आरक्षण  मिला होगा ?  
उत्तर = दोस्तो पढ़ा लिखा तो खूब हूँ और ये भी सही है की आरक्षण  मिला है फिर क्यों..? क्योकि आज के समय में नौकरी के लिए सबसे पहले प्राथमिक परीक्षा होता है जिसके बाद ही आपका आरक्षण में छुट मिलता है. और मैं आज तक परीक्षा में सफल नहीं हो पाया तो नौकरी कहाँ से मिलेगा .

तो इस तरह से मुझसे मिले वाले लोगो का पहला सवाल होता है , मैंने आज अपने ब्लॉग के माध्यम से देने की कोशिश किया है . चाहो तो आप मुझसे और भी सवाल पूछ सकते हो. 

---शब्बीर चौरसिया

बुधवार, 27 जुलाई 2016

जीवन का पहला लक्ष्य मैंने हासिल किया।

आज की सुबह मेरे लिए ख़ुशी लेकर आया। मैं अपने कॉलेज की दूसरी डिग्री हासिल किया। जो की एम्.ए. समाजशास्त्र (M.A. Sociology)की डिग्री थी। मेरे पास अब दो मास्टर डिग्री हो चूका। एम्.ए. अर्थशास्त्र (M.A. Economic) और एम्.ए. समाजशास्त्र (M.A. Sociology)। मेरा सपना था जो मैने साकार किया। अपनी शारीरिक हालात से नहीं सोचा था कि इतना पढ़ पाउँगा। लेकिन मैंने हार नही माना। चाहे जैसा भी परिस्थिति हो मैं पढ़ा। इन सबका श्रेय मेरे माता पिता का है जो मुझे पढ़ाया लिखा जिसके दम पे आज मैं अपने हालात से बढ़कर इज्जत मान सम्मान को लोगो के बीच हासिल किया। सबसे ज्यादा मेरे पिता श्री को श्रेय जाता है जो मुझे पूरी पढाई में गोदी में उठा के स्कूल से लेकर कॉलेज तक बैठाता था। मैंने पढाई इसलिए नही किया कि मेरा जॉब लगे। मेरा उद्देश्य था कि लोग मेरे ज्ञान से मेरी इज्जत करे । सो अब साकार हुआ। अब आगे पढ़ने का इरादा तो नही पर मन होगा तो P.hD करूँगा। 

शुक्रवार, 3 जून 2016

माँ बाप के बाद पैसा ही मेरा साथी

कहते है पैसा ही सब कुछ नहीं होता पर मेरे जीवन के लिए पैसा ही सब कुछ है। और मेरे लिए ही नहीं वे तमाम मेरे जैसे लोगो के लिए भी जिनका  सहारा पैसे से ही संभव है। क्योकि दुनिया में कोई रिश्ते नाते नही जो जीवन भर किसी का साथ निभा दे ओ भी बिना स्वार्थ के। आज के समय में कितना भी किसी से प्यार कर लो यदि आपके पास पैसा नही या आप कोई काम नही करते तो वे आपको बोझ समझने लगेगा। 

मैं भी अपने जीवन के आने वाले समय को सोचता हूँ तो मेरा कोई सहारा नजर नहीं आता। जब तक माँ बाप है तब तक मेरा सेवा वे बिना स्वार्थ के करेंगे क्योकि जो जन्म दिया है वही दुनिया में बिना स्वार्थ के साथ निभा सकता है,बाकी न भाई बहन साथ देगा न बीवी बच्चे, सब को आप के जीवन से कुछ न कुछ मतलब रहेगा। 

इसलिए मैं अपने दम पे जिन चाहता हूँ ताकि किसी पे बोझ न रहूँ। और तमन्ना है की इतना अमीर इंसान बनु के सब मेरे कदमो के नीचे मेरे सेवा करने को तैयार रहे। पर क्या जाने भविष्य में मेरा क्या होगा? 😢

बुधवार, 1 जून 2016

कौन बनेगा जीवन का सहारा

कभी कभी मैं सोचता हैं कौन बनेगा मेरा जीवन का सहारा? मैंने अपनी हालात से ये नहीं सोचा था की जीवन के इतने लम्बे सफ़र पार कर पाउँगा। आज मेरा उम्र और शरीर की तुलना करू तो शरीर से ज्यादा मैं जिन्दा रह चूका हूँ। और पता नहीं ये कितने दिन तक और सांस चलेगा। इसलिए आनेवाले कल के लिए मुझे चिंता होती है की माँ पापा के बाद क्या होगा। 

माँ बोलती है शादी कर लो पर ओ क्या जाने की अच्छे-अच्छो का बीवी साथ नहीं देता तो मेरे जैसे को कौन पूछे। माना की दुनिया में लड़की की कमी नहीं यदि शादी करना चाहू तो,पर क्या मतलब ऐसा प्यार का जो केवल मतलब के लिए मुझसे मज़बूरी में शादी करे।इस लिए मैं इसमें ध्यान नहीं देता। 

फिर सोचता हूँ कोई अनाथ बच्चे को गोद ले लूँ क्योकि फैमिली के बच्चे गोद लेने से क्या फ़ायदा जब खुद का बच्चा साथ नहीं देता तो फैमिली के बच्चे  क्या देगा, इसलिए अनाथ को गोद लेना चाहता हैं। पर समझ नहीं आता की किस उम्र के बच्चे को गोद लूँ यदि छोटे बच्चे को लूंगा तो उसे बड़ा करते करते मैं खुद मर चूका हूँगा तो ओ क्या साथ देगा? यदि 15 साल के बच्चे को गोद लूँ तो क्या पता उसका नियत ठीक रहेगा की नहीं। बस इसी दुविधा में अभी जी रहा हूँ। 

क्या होगा मेरा और कौन करेगा सेवा?