गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

पार्षद चुनाव का अनुभव

साल 2019 की बात है जब विधानसभा चुनाव 2018 के बाद नगरीय निकाय 2019 का चुनाव होने वाला था। मुझे सुरू से पर्षद चुनाव लडने का मन था। इसके लिए मैंने कांग्रेस पार्टी में जुड़ा और पार्टी नेताओं से संपर्क करते रहा। और इसके तयारी के लिए पूरी जानकारी एकत्र करने लगा। मैं अपने वार्ड से चुनाव लडना चाहता था पर अपने वार्ड में आए हुए मुझे एक वर्ष  ही हुआ था। यहां के लिए मैं एक नया व्यक्ति था। लेकिन मैने अपने चॉइस सेंटर के कार्यों के जरिए काफी लोग पहले से पहचान बना चुका था।और अपने क्षेत्र के बालको नगर में भी मुझे प्रायः कई लोग जानते भी थे। मैं एक अपनी पहचान बनाना चाहता था, साथ ही अपने जैसे दिव्यांग लोगो को भी राजनीति में जगह दिलाना और अपने वार्ड के लिए कुछ कर दिखाने का जुनून था।

दिनांक 05.12.2019 को मैंने कांग्रेस पार्टी से पार्षद पद के दावेदारी के लिए नामांकन भरा। परंतु मुझे पार्टी तरफ से समर्थन नहीं मिला। फिर मुझे लगा कि चुनाव नही लड़ना चाहिए। मैंने बहुत सोचा पर मैं अपनी इच्छा पूरी करना चाहता था। इसलिए सोचा की पार्टी से न सही, अब जब चुनाव लड़ने का मन बना लिया है तो फिर हर हाल में पीछे नहीं हटूंगा, चाहे इसका परिणाम जो आए। मैं जानता था अब पार्टी तरफ से समर्थन नही मिला तो मैं अकेला चुनाव नही जीत सकता। और कई लोगो ने मुझे टोका की चुनाव मत लड़ो। फिर भी मैंने निर्दलीय से नामांकन भर दिया।
 
दिनांक 09.12.2019 आज नामांकन वापस लेने का आखरी दिन था लेकिन मैने अपना नाम वापस नही लिया और चुनाव के लिए आगे बढ़ गया। और मुझे निर्दलीय चुनाव चीन "दो पत्ती" छाप मिला। मैंने अपने तरफ से प्रचार के लिए सभी साधन व्यवस्था की। इस काम में मेरी बहन ही मेरा सबसे ज्यादा मदद की। और उनके प्रोत्साहन से मैं इस कदम के लिए आगे बढ़ा। मैं जानता था चुनाव में जीत मुस्कील है इसलिए खर्चा भी उसी के हिसाब से किया। 


दिनांक 12.12.2019 को चुनाव प्रचार के लिए मैं पंपलेट बेनर आदि चीजे बनवाया। और एक गाड़ी में चुनाव प्रचार के लिए गीत बनवा के लौडिस्पीकर से गली-मोहल्ले अपने चुनावी वादे को जन-जन  तक पहुंचाया। एक छोटा रैली भी किया। मैं खुद अपने इलेक्ट्रिक व्हील चेयर से जा कर लोगो के घर घर पंपलेट बाटा और लोगो से आग्रह किया की मुझे वोट करे। जिस हिसाब से सोचा नही था उससे कही अधिक प्रचार हुआ। मेरे प्रचार को देख विरोधी पार्टियां भी सोचने पे मजबूर हो गए थे।


दिनांक 21.12.2019 को आज चुनाव का दिन था मेरे जीवन का सबसे यादगार पल। मेरे राजनीती जीवन का पहला स्टेप जो मैं अपने वार्ड पार्षद के प्रत्यासी के रूप में सभी पार्टी के लोगो के साथ निर्दलीय रूप में खड़ा हुआ और श्री हितानंद अग्रवाल (बीजेपी वर्तमान पार्षद), श्री मो. राशिद जमाल (कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी), श्री गोपी राम साहू (बसपा पार्षद प्रत्यासी), श्री अर्जुन साहू (जनता जोगी कांग्रेस) इन सभी का सहयोग मिला।

दिनांक 24.12.2019 आज चुनाव का नतीजा आया जिसमे श्री हितानंद अग्रवाल (बीजेपी) को जीत हासिल हुआ यह दूसरी दफा था जब वह पुनः इसी वार्ड से पार्षद पद पर विजयी हुए। मुझे खास वोट नही मिला लेकिन मुझे कोई दुख नही हुआ क्योंकि मैं पहले से जानता था की आखिर में क्या होगा। फिर भी मैं मैदान में डटे रहा और सभी प्रत्याशियों को सोचने में मजबूर कर दिया था।

इस चुनाव से ये सीखने को मिला की आज के समय में चुनाव और राजनीति सिर्फ पैसे वालो की है। और जनता भी काफी हद तक पैसे के पीछे भागती है। और साथ ही ये जाना की प्रोत्साहन कम लोग देंगे और मनोबल कमजोर करने वाले अधिक मिलेंगे। और यही मेरे साथ हुआ कई लोग टोका टाकी किए। लेकिन दुनिया कुछ कहे करो वही जो आपका दिल चाहे। क्योंकि न कर के जीवन भर पस्ताने से अच्छा कोई काम को कर के पस्तावो।

वैसे इस चुनाव की बहुत सी बाते है जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। इसे यही तक लिखना ठीक रहेगा। लेकिन जिंदा रहा तो मैं अपनी जीवन पर एक किताब लिखूंगा उस में इसका पूरी डिटेल रहेगा। और अगले चुनाव का इंतजार है, में फिर से कोशिश करूंगा और उम्मीद है इस बार जीत जरूर हासिल होगा।
 
---शब्बीर चौरसिया 

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